tag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post3282094373915146323..comments2021-03-24T15:00:36.940+05:30Comments on राजिन्दर कौर स्मृति: उपन्यासराजिन्दर कौरhttp://www.blogger.com/profile/04016036515708584604noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post-643880783061028572012-08-04T12:26:24.557+05:302012-08-04T12:26:24.557+05:30रोचकता बरकरार है और आगे जानने की इच्छा भीरोचकता बरकरार है और आगे जानने की इच्छा भीvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post-61729811204121917972012-08-03T07:19:00.891+05:302012-08-03T07:19:00.891+05:30aapka har upanyaas ansh apni aur aakarshit karta h...aapka har upanyaas ansh apni aur aakarshit karta hai,isiliye iski rochakta barkraar hai tatha agle ansh ke liye intjaar kii sthiti paida kar deta hai.sundar.ashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post-43705356952723255912012-08-02T14:35:04.128+05:302012-08-02T14:35:04.128+05:30मैंने पिछले अंश के विषय में कुसुम जी की ही बात लिख...मैंने पिछले अंश के विषय में कुसुम जी की ही बात लिखी थी, जो कि इस अंश में भी उपस्थित है. यह लेखक की रचनात्मकता का परिणाम होता है. मेरा विश्वास है कि आद्यंत यह उपन्यास अपनी पठनीयता बरकरार रख सकेगा.<br /><br />एक अच्छा उपन्यास पाठकों को देने के लिए आपको हार्दिक बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post-82339265176351543122012-08-01T20:38:25.116+05:302012-08-01T20:38:25.116+05:30बहुत सरल शब्दों में बहुत ख़ास बात कही है आपने...
...बहुत सरल शब्दों में बहुत ख़ास बात कही है आपने...<br /><br />''जब बात का सिलसिला आगे नहीं बढ़ाना चाहते तो रेडियो या टी.वी. की आवाज़ ऊँची कर देते हैं।''<br /><br />जस्सी की समझ एक आम घर की औरत की स्थिति को दिखा रही है. रोचकता बरकरार है. अगले अंक की प्रतीक्षा में... <br />डॉ. जेन्नी शबनमAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8522042014330350079.post-75039236037881220172012-08-01T13:21:31.497+05:302012-08-01T13:21:31.497+05:30बहुत अच्छा चल रहा है आपका यह उपन्यास। रोचकता कहीं ...बहुत अच्छा चल रहा है आपका यह उपन्यास। रोचकता कहीं टूटती नहीं है जो कि मैं समझती हूँ कि उपन्यास लेखन के लिए बहुत ज़रूरी है…रोचकता टूटी नहीं कि पाठक बोर होने लगता है और उसका मन आगे पढ़ने को बिल्कुल नहीं करता। पर आपने अपने इस उपन्यास में इस बात का विशेष ख़याल रखा है और भाषा भी क्लिष्ट नहीं हैं, पठनीय है- सीधी सरल…कुसुमhttps://www.blogger.com/profile/00109502242335306418noreply@blogger.com